बैंक बोर्ड ब्यूरो
सरकारी क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के अभिशासन में सुधार के उद्देश्य से सरकार ने एक स्वायत्त बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) की स्थापना का निर्णय लिया था। यह ब्यूरो सरकारी क्षेत्र के बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के चयन के लिए सिफारिश करेगा तथा कार्यनीतियां और पूंजी जुटाने की योजनाओं को विकसित करने में बैंकों की मदद करेगा। बैंक बोर्ड ब्यूरो में अध्यक्ष के अतिरिक्त तीन पदेन सदस्य हैं तथा तीन विशेषज्ञ सदस्य हैं। पदेन सदस्यों को छोड़कर सभी सदस्य तथा अध्यक्ष अंशकालिक हैं। बीबीबी ने दिनांक 01.04.2016 से कार्य करना प्रारम्भ किया है।
सरकारी क्षेत्र के बैंकों हेतु पूंजी
इंद्रधनुष योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा (i) नियुक्ति (ii) बैंक बोर्ड ब्यूरो (iii) पूंजीकरण (iv) पीएसबी को दबावमुक्त करना (v) सशक्तिकरण (vi) जवाबदेही का ढांचा (vii) अभिशासन सुधार से संबंधित कार्रवाई प्रारम्भ की गई है।
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने चार वर्षों के लिए बजटीय आबंटनों में से 70,000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराना प्रस्तावित किया था। सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 19 पीएसबी में 25,000 करोड़ रुपए की राशि का निवेश किया है तथा वित्त वर्ष 2016-17 में 13 पीएसबी को 22915 करोड़ रुपए आबंटित किए गए थे। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण हेतु 10,000 करोड़ रुपए की राशि प्रस्तावित की गई है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने सभी पीएसबी का विनिर्दिष्ट मानदण्डों (क्राइटेरिया) पर आधारित फालोऑन पब्लिक आफर के माध्यम से सार्वजनिक बाजारों से पूंजी जुटाने के लिए अनुमति दी है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ एसबीआई सहयोगियों का विलय
सरकार ने (i) स्टेट बैंक आफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), (ii) स्टेट बैंक आफ हैदराबाद (एसबीएच), (iii) स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), (iv) स्टेट बैंक आफ पटियाला (एसबीपी) और (v) स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर (एसबीटी) के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ विलय के प्रस्ताव को अनुमोदित किया है तथा उसे दिनांक 22.02.2017 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर दिया गया है। विलय 01 अप्रैल, 2017 से प्रभावी हुआ है। विलय के परिणामस्वरूप, अनुषंगी बैंकों के विद्यमान ग्राहकों को एसबीआई के वैश्विक नेटवर्क जो कि संसार के सभी कोनों तक फैला हुआ है, तक पहुंच प्राप्त हो जाएगी।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) का विलय
सरकार ने एसबीआई के साथ भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) के विलय के प्रस्ताव को अनुमोदित किया है तथा उसे दिनांक 20.03.2017 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर दिया गया है। विलय 01 अप्रैल, 2017 से प्रभावी हुआ है।
ब्रिक्स इंटरबैंक सहयोग तंत्र
ब्रिक्स इंटरबैंक सहयोग तंत्र के अंतर्गत एक्जिम बैंक को भारत की ओर से सदस्य विकास बैंक नामित किया गया है। बैंक ने ब्रिक्स देशों के अन्य विकास बैंकों के साथ न्यू डेवलपमेंट बैंक के साथ एक बहुपक्षीय सामान्य सहयोग समझौता किया है। वर्ष 2016 के लिए भारत ब्रिक्स फोरम का अध्यक्ष था। ब्रिक्स इंटरबैंक सहयोग तंत्र की अध्यक्षता प्राप्त करके एक्जिम बैंक ने वर्ष 2016 में कार्यक्रमों और सेमिनारों की एक श्रृंखला का आयोजन किया था। ब्रिक्स इंटरबैंक सहयोग तंत्र की वार्षिक बैठक तथा वार्षिक वित्तीय फोरम का आयोजन 15 अक्तूबर, 2016 को गोवा में किया गया था।
किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) का रूपे केसीसी में परिवर्तन
सरकार किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) के रूपे एटीएम कम डेबिट किसान क्रेडिट कार्डों (आरकेसीसी) में परिवर्तन की प्रगति पर बारीकी से निगरानी करती रही है। नाबार्ड, सहकारी बैंकों तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) द्वारा परिचालनरत/सक्रिय केसीसी के मिशन मोड में आरकेसीसी में परिवर्तन पर समन्वय का कार्य करेगा।
उत्पादक विकास और उत्थान (प्रोड्यूस)
केन्द्रीय बजट 2014-15 में की गई घोषणा के अनुसरण में नाबार्ड को 200 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। योजना का कार्यान्वयन नाबार्ड द्वारा किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2014-15 के दौरान 800 उत्पादक संगठनों (पीओ) तथा वर्ष 2015-16 के दौरान 1200 पीओ का संवर्धन किया जाना है। 2000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) बनाने के लक्ष्य की तुलना में 31 दिसम्बर, 2016 की स्थिति के अनुसार नाबार्ड ने 2172 एफपीओ स्वीकृत की है।
परक्राम्य लिखत (संशोधन) अधिनियम, 2015
परक्राम्य लिखत (संशोधन) अधिनियम, 2015 को 29 दिसम्बर, 2015 को भारत के असाधारण राजपत्र में अधिसूचित किया गया है। इस संशोधन अधिनियम के प्रावधान 15 जून, 2015 से प्रभावी हुए हैं। संशोधन अधिनियम में परक्राम्य लिखत अधिनियम (एनआई अधिनियम) की धारा 138 के अंतर्गत किए गए अपराध के मामले दायर करने के लिए क्षेत्राधिकार संबंधी मामलों को स्पष्ट करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। संशोधन अधिनियम केवल उस न्यायालय जिसके स्थानीय क्षेत्राधिकार में अदाता की बैंक शाखा के भीतर आता है, जहां पर अदाता अपने खाते के माध्यम से भुगतान हेतु चेक जारी करता है, अवस्थित है, में मामलों को दायर करना सुकर करता है। धारक चेकों के मामलों को छोड़कर जहां पर अदाकर्ता बैंक की शाखा में प्रस्तुत किया जाता है तथा उस मामले उस शाखा के स्थानीय न्यायालय को क्षेत्राधिकार प्राप्त होगा। संशोधन अधिनियम में एनआई अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत मामले के अभियोजन के लिए न्यायालय के क्षेत्राधिकार के निर्धारण की नई योजना को पिछले समय से वैध करने की व्यवस्था है। संशोधन अधिनियम एक ही चेक काटने वाले (ड्राअर) के विरुद्ध मामले के केन्द्रीकरण को भी अधिदेशित करता है। क्षेत्राधिकार संबंधी विवादों की स्पष्टता समानता के दृष्टिकोण से वांछनीय होगी क्योंकि यह शिकायतकर्ता के हित में होगी और साथ ही उचित अभियोजन सुनिश्चित करेगी।
भुगतान एवं निपटान प्रणाली (संशोधन) अधिनियम, 2015
संसद द्वारा भुगतान एवं निपटान प्रणाली (संशोधन) अधिनियम, 2015 लागू किया गया था तथा उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति दिनांक 13.05.2015 को प्राप्त हुई थी। संशोधन अधिनियम में, अन्य बातों के साथ-साथ, वैश्विक रूप से स्वीकार किए जाने वाले मानदण्डों के अनुरूप भारतीय वित्त बाजारों में पारदर्शिता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए सुधार प्रारंभ करने की बात कही गई थी। भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 का प्रवर्तन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत में भुगतान प्रणालियों के विनियमन और पर्यवेक्षण के लिए एक ठोस विधिक आधार प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) अधिनियम, 2015
सहकारी ऋण संरचना के लिए एक वैकल्पिक चैनल के सृजन और ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में पर्याप्त संस्थागत ऋण सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 (आरआरबी अधिनियम) के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की स्थापना की गई थी। आरआरबी का स्वामित्व भारत सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों द्वारा सांझे रूप से होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में आरआरबी की बढ़ती हुई भूमिका को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 में संशोधन करने की आवश्यकता महसूस की गई थी।
कार्ड स्वीकार करने की अवसंरचना
डेबिट कार्डों के उपयोग के लिए कार्ड स्वीकार करने की अवसंरचना को बढ़ाने के लिए दिसम्बर 2016 से मार्च 2017 के बीच एक व्यापक अभियान चलाया गया था जिसके परिणामस्वरूप बिक्री बिन्दु (पीओएस) टर्मिनलों की संख्या में दिनांक 30.11.2016 की स्थिति के अनुसार 15.19 लाख से बढ़कर अतिरिक्त् 12.54 लाख टर्मिनल हो गए थे। इसके अतिरिक्त, गांवों में ऐसी अवसंरचना में सुधार हेतु नाबार्ड द्वारा वित्तीय समावेशन निधि से 2.04 लाख पीओएस टर्मिनलों की स्वीकृति प्रदान की गई है।.
बीआईएफआर/एएआईएफआर
रुग्ण औद्योगिक कंपनी (विशेष उपबंध) निरस्तीकरण अधिनियम, 2003 को लागू करने तथा अधिनियम की धारा 1(2) के अंतर्गत और बीआईएफआर/एएआईएफआर में चल रहे मामलों को अधिनियम की धारा 4(ख) के अंतर्गत दिनांक 25.11.2016 की राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी गई है। ये दोनों अधिसूचनाएं दिनांक 01.12.2016 से प्रभावी हुई हैं जिनके परिणामस्वरूप बीआईएफआर और एएआईएफआर समाप्त हो गए हैं तथा मामलों का अवप्रेरण हो गया है। सामंजस्यता बनाए रखने के उद्देश्य से कंपनी (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2002 के उपबंधों के अनुसार बीआईएफआर/एएआईएफआर की समाप्ति राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी)/राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) की स्थापना के साथ होगी।
ऋण वसूली अधिकरण
चूक हुए ऋणों के तीव्र न्यायनिर्णयन और समयबद्ध तरीके से शीघ्र समाधान के लिए इन अधिकरणों द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रियाओं और समय-सीमाओं को युक्तियुक्त बनाने के लिए प्रतिभूति हित का प्रवर्तन और ऋण वसूली विधि तथा प्रकीर्ण उपबंध (संशोधन) अधिनियम, 2016 को लागू करके बैंकों तथा वित्तीय संस्थाओं को शोध्य ऋण वसूली (आरडीडीबी एंड एफआई) अधिनियम, 1993 और वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम (सरफासी अधिनियम), 2002 का संशोधन किया गया था।


