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वृद्धों की संख्या और सामाजिक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए और देशव्यापी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली प्रदान करने के लिए पेंशन सुधारों की आवश्यकता महसूस की गई। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र में, सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए लागू निर्धारित लाभ पेंशन प्रणाली का राजकोष पर दबाव, पेंशन सुधारों के लिए प्रमुख प्रेरक दबाव रहा। ओएएसआईएस, एचएलईजी और इरडाई द्वारा विभिन्न अध्ययन और रिपोर्ट के बाद विभिन्न कारणों से केंद्र सरकार और असंगठित क्षेत्र, दोनों के लिए पेंशन सुधारों की आवश्यकता को अभिचिह्नित करने के लिए वर्ष 2001-02 से, सरकार द्वारा कई उपायों को अपनाया गया है|

वर्ष 2004 में, 01.01.2004 से सेवा में आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की शुरुआत की गई थी।

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बाद में मई 2009 से एनपीएस को भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू किया गया था| एनपीएस के तहत एनपीएस लाइट, स्वावलंबन आदि जैसी विभिन्न योजनाओं को सामाजिक सुरक्षा/ वृद्धावस्था के लिए पेंशन प्रदान करने के उद्देश्य से असंगठित क्षेत्र और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शुरू किया गया था।

सितंबर, 2013 में विकास और विनियमन तथा अभिदाता के हितों की रक्षा के लिए वृद्धावस्था आय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए और एक सांविधिक विनियामकीय पेंशन निधि की स्थापना की गई और पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह अधिनियम 1.2.2014 से लागू है। इस अधिनियम में न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल प्रदान करने के लिए एक योजना निर्धारित की गई है।

मई, 2015 में भारत सरकार द्वारा गारंटीयुक्त पेंशन योजना यानी अटल पेंशन योजना (एपीवाई) शुरू की गई थी। मौजूदा स्वावलंबन योजना में नए नामांकन 1.4.2015 से बंद कर दिए गए थे।

हालांकि ये कदम भारत में पेंशनभोगी समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं, तथापि, देश मे कार्यबल और जनसंख्या के आकार को देखते हुए, पेंशन कवरेज के संबंध में इसे और बढ़ाए जाने की गुंजाइश है। आगे बढ़ते हुए, सरकार प्रभावी संचार उपायों के माध्यम से वृद्धावस्था आय सुरक्षा के महत्व के बारे में विभिन्न उपायों और नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाकर पेंशन कवरेज को विस्तृत और व्यापक बनाना चाहती है।

I. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अभिशासित और विनियमित किया जा रहा है।

II. एनपीएस एक बाजार से जुड़ा, निर्धारित अंशदान उत्पाद है। एनपीएस के तहत, सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (सीआरए) द्वारा व्यक्तिगत अभिदाताओं के लिए एक विशिष्ट स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) सृजित और अनुरक्षित की जाती है।

III. एनपीएस में दो प्रकार के खाते प्रदान किए जाते हैं, अर्थात् टियर-I और टियर-II। टियर-I खाता पेंशन खाता है जिसमें से सीमित निकासी होती है। टियर-II एक स्वैच्छिक खाता है जो निवेश और निकासी की तरलता प्रदान करता है। इसकी अनुमति केवल तभी दी जाती है जब अभिदाता के नाम पर सक्रिय टियर-I खाता हो। बाजार से संबद्ध प्रतिफल के साथ सेवानिवृत्ति के समय तक इसमें अंशदान जमा होता है।

IV. योजना से बाहर निकलने/सेवानिवृत्ति/अधिवर्षिता पर, जीवन बीमा कंपनी से वार्षिकी खरीदकर जीवन भर के लिए पेंशन प्राप्त करने के लिए कोष का न्यूनतम 40% अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाता है और शेष राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाता है।

V. एनपीएस प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं के विभिन्न वर्गों के अनुरूप विभिन्न मॉडलों की पेशकश करता है। इनमें शामिल हैं:

i. केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सरकारी मॉडल: एनपीएस 1.1.2004 को या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) पर अनिवार्य रूप से लागू है। इसके बाद, पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए एनपीएस को अपनाया है। सरकारी कर्मचारी अपने वेतन के 10% की दर से मासिक अंशदान करते हैं और इतना ही अंशदान सरकार द्वारा दिया जाता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए, नियोक्ता के योगदान की दर को 1.4.2019 से बढ़ाकर 14% कर दिया गया है।

ii. कॉर्पोरेट मॉडल: कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए रोजगार की शर्तों के अनुसार अंशदान दरों के साथ एनपीएस को अपना सकती हैं।

iii. सभी नागरिक मॉडल: एनपीएस का सभी नागरिक मॉडल भारत के 18 से 65 वर्ष की आयु के सभी नागरिकों को स्वैच्छिक आधार पर एनपीएस में शामिल होने की अनुमति देता है।

VI. एनपीएस से कैसे जुड़ें:

• एनपीएस के तहत नामांकन और योगदान सरकार के लिए नोडल अधिकारियों, कर्मचारियों, कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए नियोक्ता या पीओपी और अन्य व्यक्तियों के लिए पीओपी या ईएनपीएस के माध्यम से किया जाता है।

VII. एनपीएस अवसंरचना:

• एनपीएस को पीएफआरडीए द्वारा नियुक्त मध्यवर्तियों, पेंशन निधि, अभिरक्षक, सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (सीआरए), राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास, न्यासी बैंक, पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस (पीओपी) और वार्षिकी सेवा प्रदाता (एएसपी) को शामिल करते हुए एक असंबद्ध संरचना के माध्यम से अभिशासित किया जाता है।

VIII. एनपीएस की महत्वपूर्ण विशेषताएं:

i. पोर्टेबिलिटी - वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से सभी भौगोलिक स्थानों पर और रोजगार की सुवाह्यता के माध्यम से एनपीएस अभिदाताओं की पेंशन खाते तक ऑनलाइन पहुंच के माध्यम से पहुंच और पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित की जाती है।

ii. आंशिक निकासी- अभिदाता एनपीएस टियर-I से बाहर निकलने से पहले किसी भी समय अपने स्वयं के योगदान का 25% तक एनपीएस के तहत अभिदान के पूरे कार्यकाल के दौरान नियमों में निर्दिष्ट कुछेक उद्देश्यों के लिए अधिकतम तीन बार धनराशि निकाल सकते हैं। कम से कम दस वर्षों के योगदान के बाद एनपीएस टियर-1 से आंशिक निकासी की अनुमति है और दो निकासी के बीच न्यूनतम पांच वर्ष का अंतर होना चाहिए।

iii. एनपीएस के तहत उपलब्ध कर लाभ:

क) एनपीएस टियर-I में कर्मचारी का स्वयं का योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीडी (1) के तहत आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये की समग्र सीमा तक कर-छूट के लिए पात्र है। वित्तीय वर्ष 2015-16 से, एनपीएस टियर I खाते में अभिदाता को धारा 80सीसीडी(1) के तहत अनुमत कटौती के अलावा धारा 80सीसीडी1(बी) के अंतर्गत अधिकतम 50,000 रुपये तक के लिए भी कर कटौती की अनुमति दी गई है।

ख) एनपीएस टियर-I में नियोक्ता का योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (2) के तहत कर कटौती के लिए पात्र है (केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन का 14% और अन्य के लिए 10%)। यह छूट धारा 80सी के तहत निर्धारित सीमा के अतिरिक्त है

ग) एनपीएस टियर-I से अभिदाता द्वारा किए गए योगदान के 25% तक की अंतरिम/आंशिक निकासी कर मुक्त है।

घ) 1.4.2019 से, अधिवर्षिता के समय एनपीएस टियर-I से कुल पेंशन राशि के 60% तक की एकमुश्त निकासी पर कर छूट प्राप्त है।

ङ) बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) द्वारा पंजीकृत और विनियमित तथा पीएफआरडीए द्वारा सूचीबद्ध वार्षिकी सेवा प्रदाता से वार्षिकी खरीदने के लिए उपयोग की गई राशि का न्यूनतम 40% भी कर मुक्त है।

IX. एनपीएस के तहत प्रतिफल:

https://www.npstrust.org.in/return-of-nps-scheme

X. एनपीएस के तहत निवेश पद्धति:

क) सरकारी क्षेत्र

सरकारी क्षेत्र के अंशदाताओं के पास निम्नलिखित चार निवेश विकल्प हैं:-

(i) डिफ़ॉल्ट विकल्प (सरकारी प्रतिभूतियों में 55% तक, ऋण लिखत में 45% तक , इक्विटी में 15% तक तथा संपत्ति समर्थित और विविध निवेश में 5% तक);

(ii) सरकारी प्रतिभूतियों में 100% निवेश;

(iii) जीवन चक्र-25 (यह जीवन चक्र फंड इक्विटी निवेश के लिए कुल संपत्ति का 25% की सीमा प्रदान करता है इक्विटी निवेश में जोखिम 35 वर्ष की आयु तक 25% से शुरू होता है और धीरे-धीरे अभिदाता की आयु के अनुसार कम हो जाता है;

(iv) यह जीवन चक्र फंड इक्विटी निवेश के लिए कुल संपत्ति के 50% की सीमा प्रदान करता है। इक्विटी निवेश में जोखिम 35 वर्ष की आयु तक 50% से शुरू होता है और अभिदाता की आयु के अनुसार धीरे-धीरे कम होता जाता है।

ख) गैर सरकारी क्षेत्र

गैर-सरकारी क्षेत्र के अभिदाताओं के पास सक्रिय विकल्प होता है जिसमें विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों का अनुपात पूर्वनिर्धारित नहीं होता है और यह अभिदाता की पसंद पर आधारित होता है। हालाँकि, प्रत्येक परिसंपत्ति वर्ग के लिए अधिकतम जोखिम निर्धारित किया गया है, अर्थात सरकारी प्रतिभूतियों में 100% तक, ऋण लिखत में 100% तक, इक्विटी में 75% तक, तथा संपत्ति समर्थित और विविध निवेश में 5% तक।

(i ) LC75 - एग्रेसिव लाइफ साइकिल फंड, (ii) LC50 - मॉडरेट लाइफ साइकिल फंड, और (iii) LC25 - कंजर्वेटिव लाइफ साइकिल फंड में से स्वत: चयन कर सकते हैं ।

XI. प्रबंधन के अधीन आस्ति और एनपीएस के तहत अभिदाताओं की संख्या:

https://npstrust.org.in/aum-and-subcriber-base

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बाद में मई 2009 से एनपीएस को भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू किया गया था| एनपीएस के तहत एनपीएस लाइट, स्वावलंबन आदि जैसी विभिन्न योजनाओं को सामाजिक सुरक्षा/ वृद्धावस्था के लिए पेंशन प्रदान करने के उद्देश्य से असंगठित क्षेत्र और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शुरू किया गया था।

सितंबर, 2013 में विकास और विनियमन तथा अभिदाता के हितों की रक्षा के लिए वृद्धावस्था आय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए और एक सांविधिक विनियामकीय पेंशन निधि की स्थापना की गई और पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह अधिनियम 1.2.2014 से लागू है। इस अधिनियम में न्यूनतम सुनिश्चित प्रतिफल प्रदान करने के लिए एक योजना निर्धारित की गई है।

मई, 2015 में भारत सरकार द्वारा गारंटीयुक्त पेंशन योजना यानी अटल पेंशन योजना (एपीवाई) शुरू की गई थी। मौजूदा स्वावलंबन योजना में नए नामांकन 1.4.2015 से बंद कर दिए गए थे।

हालांकि ये कदम भारत में पेंशनभोगी समाज बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं, तथापि, देश मे कार्यबल और जनसंख्या के आकार को देखते हुए, पेंशन कवरेज के संबंध में इसे और बढ़ाए जाने की गुंजाइश है। आगे बढ़ते हुए, सरकार प्रभावी संचार उपायों के माध्यम से वृद्धावस्था आय सुरक्षा के महत्व के बारे में विभिन्न उपायों और नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाकर पेंशन कवरेज को विस्तृत और व्यापक बनाना चाहती है।

I. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) को पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अभिशासित और विनियमित किया जा रहा है।

II. एनपीएस एक बाजार से जुड़ा, निर्धारित अंशदान उत्पाद है। एनपीएस के तहत, सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (सीआरए) द्वारा व्यक्तिगत अभिदाताओं के लिए एक विशिष्ट स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) सृजित और अनुरक्षित की जाती है।

III. एनपीएस में दो प्रकार के खाते प्रदान किए जाते हैं, अर्थात् टियर-I और टियर-II। टियर-I खाता पेंशन खाता है जिसमें से सीमित निकासी होती है। टियर-II एक स्वैच्छिक खाता है जो निवेश और निकासी की तरलता प्रदान करता है। इसकी अनुमति केवल तभी दी जाती है जब अभिदाता के नाम पर सक्रिय टियर-I खाता हो। बाजार से संबद्ध प्रतिफल के साथ सेवानिवृत्ति के समय तक इसमें अंशदान जमा होता है।

IV. योजना से बाहर निकलने/सेवानिवृत्ति/अधिवर्षिता पर, जीवन बीमा कंपनी से वार्षिकी खरीदकर जीवन भर के लिए पेंशन प्राप्त करने के लिए कोष का न्यूनतम 40% अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाता है और शेष राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाता है।

V. एनपीएस प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं के विभिन्न वर्गों के अनुरूप विभिन्न मॉडलों की पेशकश करता है। इनमें शामिल हैं:

i. केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए सरकारी मॉडल: एनपीएस 1.1.2004 को या उसके बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) पर अनिवार्य रूप से लागू है। इसके बाद, पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने भी अपने कर्मचारियों के लिए एनपीएस को अपनाया है। सरकारी कर्मचारी अपने वेतन के 10% की दर से मासिक अंशदान करते हैं और इतना ही अंशदान सरकार द्वारा दिया जाता है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए, नियोक्ता के योगदान की दर को 1.4.2019 से बढ़ाकर 14% कर दिया गया है।

ii. कॉर्पोरेट मॉडल: कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए रोजगार की शर्तों के अनुसार अंशदान दरों के साथ एनपीएस को अपना सकती हैं।

iii. सभी नागरिक मॉडल: एनपीएस का सभी नागरिक मॉडल भारत के 18 से 65 वर्ष की आयु के सभी नागरिकों को स्वैच्छिक आधार पर एनपीएस में शामिल होने की अनुमति देता है।

VI. एनपीएस से कैसे जुड़ें:

• एनपीएस के तहत नामांकन और योगदान सरकार के लिए नोडल अधिकारियों, कर्मचारियों, कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए नियोक्ता या पीओपी और अन्य व्यक्तियों के लिए पीओपी या ईएनपीएस के माध्यम से किया जाता है।

VII. एनपीएस अवसंरचना:

• एनपीएस को पीएफआरडीए द्वारा नियुक्त मध्यवर्तियों, पेंशन निधि, अभिरक्षक, सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी (सीआरए), राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास, न्यासी बैंक, पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस (पीओपी) और वार्षिकी सेवा प्रदाता (एएसपी) को शामिल करते हुए एक असंबद्ध संरचना के माध्यम से अभिशासित किया जाता है।

VIII. एनपीएस की महत्वपूर्ण विशेषताएं:

i. पोर्टेबिलिटी - वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से सभी भौगोलिक स्थानों पर और रोजगार की सुवाह्यता के माध्यम से एनपीएस अभिदाताओं की पेंशन खाते तक ऑनलाइन पहुंच के माध्यम से पहुंच और पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित की जाती है।

ii. आंशिक निकासी- अभिदाता एनपीएस टियर-I से बाहर निकलने से पहले किसी भी समय अपने स्वयं के योगदान का 25% तक एनपीएस के तहत अभिदान के पूरे कार्यकाल के दौरान नियमों में निर्दिष्ट कुछेक उद्देश्यों के लिए अधिकतम तीन बार धनराशि निकाल सकते हैं। कम से कम दस वर्षों के योगदान के बाद एनपीएस टियर-1 से आंशिक निकासी की अनुमति है और दो निकासी के बीच न्यूनतम पांच वर्ष का अंतर होना चाहिए।

iii. एनपीएस के तहत उपलब्ध कर लाभ:

क) एनपीएस टियर-I में कर्मचारी का स्वयं का योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीडी (1) के तहत आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये की समग्र सीमा तक कर-छूट के लिए पात्र है। वित्तीय वर्ष 2015-16 से, एनपीएस टियर I खाते में अभिदाता को धारा 80सीसीडी(1) के तहत अनुमत कटौती के अलावा धारा 80सीसीडी1(बी) के अंतर्गत अधिकतम 50,000 रुपये तक के लिए भी कर कटौती की अनुमति दी गई है।

ख) एनपीएस टियर-I में नियोक्ता का योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीडी (2) के तहत कर कटौती के लिए पात्र है (केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वेतन का 14% और अन्य के लिए 10%)। यह छूट धारा 80सी के तहत निर्धारित सीमा के अतिरिक्त है

ग) एनपीएस टियर-I से अभिदाता द्वारा किए गए योगदान के 25% तक की अंतरिम/आंशिक निकासी कर मुक्त है।

घ) 1.4.2019 से, अधिवर्षिता के समय एनपीएस टियर-I से कुल पेंशन राशि के 60% तक की एकमुश्त निकासी पर कर छूट प्राप्त है।

ङ) बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) द्वारा पंजीकृत और विनियमित तथा पीएफआरडीए द्वारा सूचीबद्ध वार्षिकी सेवा प्रदाता से वार्षिकी खरीदने के लिए उपयोग की गई राशि का न्यूनतम 40% भी कर मुक्त है।

IX. एनपीएस के तहत प्रतिफल:

https://www.npstrust.org.in/return-of-nps-scheme

X. एनपीएस के तहत निवेश पद्धति:

क) सरकारी क्षेत्र

सरकारी क्षेत्र के अंशदाताओं के पास निम्नलिखित चार निवेश विकल्प हैं:-

(i) डिफ़ॉल्ट विकल्प (सरकारी प्रतिभूतियों में 55% तक, ऋण लिखत में 45% तक , इक्विटी में 15% तक तथा संपत्ति समर्थित और विविध निवेश में 5% तक);

(ii) सरकारी प्रतिभूतियों में 100% निवेश;

(iii) जीवन चक्र-25 (यह जीवन चक्र फंड इक्विटी निवेश के लिए कुल संपत्ति का 25% की सीमा प्रदान करता है इक्विटी निवेश में जोखिम 35 वर्ष की आयु तक 25% से शुरू होता है और धीरे-धीरे अभिदाता की आयु के अनुसार कम हो जाता है;

(iv) यह जीवन चक्र फंड इक्विटी निवेश के लिए कुल संपत्ति के 50% की सीमा प्रदान करता है। इक्विटी निवेश में जोखिम 35 वर्ष की आयु तक 50% से शुरू होता है और अभिदाता की आयु के अनुसार धीरे-धीरे कम होता जाता है।

ख) गैर सरकारी क्षेत्र

गैर-सरकारी क्षेत्र के अभिदाताओं के पास सक्रिय विकल्प होता है जिसमें विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों का अनुपात पूर्वनिर्धारित नहीं होता है और यह अभिदाता की पसंद पर आधारित होता है। हालाँकि, प्रत्येक परिसंपत्ति वर्ग के लिए अधिकतम जोखिम निर्धारित किया गया है, अर्थात सरकारी प्रतिभूतियों में 100% तक, ऋण लिखत में 100% तक, इक्विटी में 75% तक, तथा संपत्ति समर्थित और विविध निवेश में 5% तक।

(i ) LC75 - एग्रेसिव लाइफ साइकिल फंड, (ii) LC50 - मॉडरेट लाइफ साइकिल फंड, और (iii) LC25 - कंजर्वेटिव लाइफ साइकिल फंड में से स्वत: चयन कर सकते हैं ।

XI. प्रबंधन के अधीन आस्ति और एनपीएस के तहत अभिदाताओं की संख्या:

https://npstrust.org.in/aum-and-subcriber-base

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