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परिचय

बीमा, वित्तीय क्षेत्र का एक अभिन्न अंग होने के नाते, भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मृत्यु, संपत्ति और हताहत जोखिमों के खिलाफ सुरक्षा और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तियों और उद्यमों के लिए सुरक्षा प्रदान करने के अलावा, यह क्षेत्र बचत को प्रोत्साहित करता है और देश के अवसंरचनात्मक विकास और अन्य लंबी अवधिकी परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक धन प्रदान करता है। बीमा क्षेत्र के निरंतर आर्थिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए इसका विकासआवश्यक है।

इस क्षेत्र में कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां हैं: 1. भारतीय जीवन बीमा निगम; 2 नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड; 3. ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड; 4. यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड; 5. द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड; 6. जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया; 7. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और 8. एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड

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क्षेत्र में सुधार

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के अधिनियमन के साथ बीमा क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोला गया था।भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) हैदराबाद, तेलंगाना में अपने मुख्य कार्यालय से कार्य कर रहा है। प्राधिकरण के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना और उचित व्यवहार को सुनिश्चित करना; (ii) आम आदमी के लाभ और अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाने के लिए दीर्घकालिक धन उपलब्ध कराने हेतु बीमा उद्योग (वार्षिकी और सेवानिवृत्ति भुगतान सहित) की तीव्र और व्यवस्थित प्रगति; (iii) यह जिनको विनियमित करता है उनमें निष्ठा, वित्तीय सुदृढ़ता, उचित कार्रवाई और क्षमता के उच्च मानकों को स्थापित, प्रोत्साहित, निगरानी करना और बढ़ावा देना। (iv) वास्तविक दावों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करना, बीमा धोखाधड़ी और अन्य कदाचारों को रोकना और प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करना(v) बीमा संबंधी कार्य करने वाले वित्तीय बाजारों में निष्पक्षता, पारदर्शिता और व्यवस्थित आचरण को बढ़ावा देना और बाज़ार मेंप्रतिस्पर्धियों के बीच वित्तीय सुदृढ़ता के उच्च मानकों को लागू करने के लिए एक विश्वसनीय प्रबंधन सूचना प्रणाली का निर्माण करना(vi) जहां ऐसे मानकों को अपर्याप्त या अप्रभावी रूप से लागू किया गया हो वहां कार्रवाई करना (vii) विवेकपूर्ण विनियमन की आवश्यकताओं के अनुरूप उद्योग के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में आत्म-विनियमन की इष्टतम मात्रा लाना।

वर्ष 2000 में निजी और विदेशी निवेश के लिए इस क्षेत्र को खोलने के बाद से, बीमा उद्योग में प्रतिभागियों की संख्या सात (7) बीमाकंपनियों (भारतीय जीवन बीमा निगम, चार सार्वजनिक क्षेत्र के साधारण बीमाकर्ता, एक विशेष बीमाकर्ता और राष्ट्रीय पुनर्बीमाकर्ता के रूप में सामान्य बीमा निगम सहित) से बढ़कर 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसारसड़सठ (67) बीमाकर्ता हो गई है, जो जीवन, साधारण और पुनर्बीमा क्षेत्रों (विशेष बीमाकर्ताओं सहित, नामतः निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम लिमिटेड और भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड) में काम कर रहे हैं। 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार 24 जीवन बीमा कंपनियां हैंजिनमें एक सार्वजनिक क्षेत्र की है, 25 साधारण बीमा कंपनियां हैं जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र की चार, सार्वजनिक क्षेत्र की दो विशेष बीमा कंपनियां, पांच स्टैंड अलोन स्वास्थ्यबीमाकर्ता (एसएएचआई) और सार्वजनिक क्षेत्र की एक बीमा कंपनी सहित 11 पुनर्बीमा कंपनियां हैं।

इस क्षेत्र में किए गए प्रमुख सुधारों में से एक बीमा कानून (संशोधन) अधिनियम, 2015 का पारित होना है, जिसने बीमा अधिनियम, 1938, साधारण बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) अधिनियम, 1999 में प्रमुख सुधार संबंधी संशोधनों का मार्ग प्रशस्त किया है।संशोधन अधिनियम ने विधानों में से निरर्थक उपबंधों को हटा दिया और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) द्वारा अपने कार्यों को अधिक प्रभावी तरीके और कुशलता से निर्वहन करने के लिए लचीलापन प्रदान करने के लिए उसमें कुछ उपबंधों को शामिल किया। इसमें भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण की सुरक्षा के साथ किसी भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी निवेश की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत की स्पष्ट रूप से समग्र सीमा करने का भी उपबंध किया गया है। संशोधन अधिनियम के कारण विदेशी पुनर्बीमाकर्ताभारत में शाखाएं स्थापित कर सके। इसने ब्रिटेन के लॉयड्स और उसके सदस्यों को पुनर्बीमा व्यवसाय के उद्देश्य से शाखाओं की स्थापना के माध्यम से या 49 प्रतिशत की सीमा के भीतर भारतीय बीमा कंपनी में निवेशकों के रूप में भारत में काम करने में सक्षम बनाया। इस अधिनियम ने जीवन और गैर-जीवन बीमा कंपनियों के लिए लागू स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं के लिए पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखते हुए 'स्वास्थ्य बीमा व्यवसाय' को एक अलग वर्टिकल के रूप में मान्यता दी है।

भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी निवेश) संशोधन नियम, 2019 द्वारा भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी निवेश) नियम, 2015 में संशोधन के अनुसरण में, मध्यस्थों या बीमा मध्यस्थों के लिए विदेशी इक्विटी निवेश की सीमा को हटा दिया गया था, जिससे 100 प्रतिशत एफडीआई के साथ इस चैनल को खोलने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

25 मार्च, 2021 को अधिनियमित बीमा (संशोधन) अधिनियम, 2021 को लागू करके बीमा अधिनियम, 1938 में और संशोधन लाया गया, जिसके द्वारा सरकार ने भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया है। इस संशोधन और सरकार द्वारा जारी तदनुरूप नियमों के आधार पर, इरडाई ने 07 जुलाई, 2021 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से इरडाई (भारतीय बीमा कंपनी) (संशोधन) विनियम, 2021 नामक एक विनियमन जारी किया है।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में स्थापित एक शाखा के माध्यम से पुनर्बीमा व्यवसाय में कार्यरत विदेशी बीमाकर्ताओं के लिए निवल स्वामित्व वाली निधि की आवश्यकता को दिनांक 01.08.2019 के वित्त अधिनियम, 2019द्वारा 5000 करोड़ रुपये से घटाकर 1000 करोड़ रुपये कर दिया गया था।

दिनांक 30.7.2020 को अधिसूचित भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (विशेष आर्थिक क्षेत्र में बीमा व्यवसाय का विनियमन) संशोधन नियम, 2020 के माध्यम से भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (विशेष आर्थिक क्षेत्र में बीमा व्यवसाय का विनियमन) नियम, 2015 को संशोधित किया गया था ताकि विशेष आर्थिक क्षेत्रों में संचालित करने के लिए बीमा मध्यस्थों के लिए एक उपबंध शामिल किया जा सके।

वर्ष 2014 में, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पारित आदेशों को भी प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण (एसएटी) में अपील योग्य बनाया गया था।बीमा (प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण में अपील) नियम, 2016 और बीमा (न्यायिक अधिकारी द्वारा जांच करने की प्रक्रिया) नियम, 2016 को दिनांक 17.02.2016 को अधिसूचित किया गया था। बीमा (प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण में अपील) नियम, 2016 को दिनांक 15.4.2021 को अधिसूचित बीमा (प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण में अपील) संशोधन नियम, 2021 के माध्यम से संशोधित किया गया था, ताकि एक उचित समय सीमा प्रदान की जा सके, जिसके भीतर अपीलकर्ता अपने अपील ज्ञापन में दोष को ठीक कर सके और जिस तरह से अपील ज्ञापन में दोष को अपीलकर्ता को उन मामलों के संबंध में सूचित किया जाएगा जहां अपील डाक द्वारा भेजी गई है।

बीमा कंपनियों और उनके एजेंटों और मध्यस्थोंद्वारा बीमा के सभी व्यक्तिगत वर्गों, समूह बीमा पॉलिसियों, एकल स्वामित्व और सूक्ष्म उद्यमों को जारी की गई पॉलिसियों के संबंध में शिकायतों को लागत प्रभावी और निष्पक्ष तरीके से हल करना।केंद्र सरकार ने दिनांक 27.04.2017 को बीमा लोकपाल नियम, 2017 अधिसूचित किया था। इन नियमों को दिनांक 17.08.2018 को बीमा लोकपाल (संशोधन) नियम, 2018 के माध्यम से संशोधित किया गया था। बीमा लोकपाल को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए अधीनस्थ विधान से संबंधित समिति (सीओएसएल), लोकसभा की सिफारिशों पर दिनांक 02.03.2021 और 18.05.2021 की अधिसूचना के माध्यम से उक्त नियमों में और संशोधन किए गए थे।

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) के लिएवित्त अधिनियम, 2021 के माध्यम से जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 (एलआईसी अधिनियम) को संशोधित किया गया था।एलआईसी अधिनियम के संशोधित उपबंध 30.6.2021 से लागू हुए। एलआईसी अधिनियम में संशोधनों में पूंजी संरचना, कॉरपोरेट अभिशासन, वित्तीय प्रकटीकरण व लेखा परीक्षा और अधिशेष के वितरण के संबंध में संशोधन के अलावा अन्य संबंधित संशोधन शामिल हैं।उक्त संशोधन के अनुसरण में एलआईसी अधिनियम के तहत नियमों और विनियमों में भी संशोधन किया गया है।

साधारण बीमा कारबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन अधिनियम, 2021 (2021 की संख्या 37) के माध्यम से साधारण बीमा कारबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 को संशोधित किया गया हैऔर अधिनियम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक निजी भागीदारी को सक्षम करने के लिए 19 अगस्त, 2021 को अधिसूचित किया गया है। उक्त अधिनियम दिनांक 27.08.2021 से लागू हुआ है।

सरकार ने 17 मई, 2022 को एलआईसी में अपने 3.5% शेयरों का विनिवेश किया, जिसका उद्देश्य सरकार के निवेश मूल्य को अनलॉक करना था। इसने एलआईसी को सार्वजनिक राजकोष पर निर्भर हुएबिना भावी विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूंजी जुटाने में सक्षम किया और सूचीबद्धता संबंधी आवश्यकताओं और प्रकटीकरण सेबेहतर बाज़ार अनुशासन और पारदर्शिता के माध्यम से अभिशासन में सुधार हुआ है। आईपीओ से जनता को भी एलआईसी में हिस्सेदारी और उससे लाभ प्राप्त करनेका अवसर मिला है। एलआईसी के शेयर निफ्टी और सेंसेक्स दोनों पर सूचीबद्ध हुए थे।

वैश्विक प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए, दिनांक 04.07.2022 को बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 2गक के तहत एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें उक्त अधिनियम की कुछ धाराओं को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में वित्तीय संस्थान के रूप में बीमा का व्यवसाय करने वाले बीमाकर्ता पर केवल ऐसे अपवादों, संशोधनों और अनुकूलन के साथ लागू किया गया है, जैसा कि उसमें निर्दिष्ट है।

 

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना

प्रधान मंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई)भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कीयोजना है और भारत सरकार द्वारा समर्थित है, जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को 10 वर्ष की अवधि के लिए एक सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करने के लिए, उस कीमत से जुड़ा हुआ है जिस पर वे पेंशन पॉलिसी खरीदते हैं। यह योजना भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को सरकारी गारंटी के आधार पर सदस्यता राशि से जुड़ी सुनिश्चित पेंशन / रिटर्न के प्रावधान के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धावस्था आय सुरक्षा को सक्षम बनाती है।

पीएमवीवीवाई 31 मार्च, 2023 तक अभिदान के लिए खुली है और इसने वर्ष 2020-21 के लिए7.40% प्रति वर्ष कीसुनिश्चित प्रतिफल दर प्रदान की है। वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए, जबकि यह योजना मार्च, 2023 तक परिचालनरत है, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) की 7.75% की अधिकतम सीमा तक की लागू प्रतिफल दर के अनुरूप वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से रिटर्न की सुनिश्चित दर के वार्षिक रीसेट का प्रावधान है, जिसमें किसी भी समय इस अधिकतम सीमा के उल्लंघन पर योजना का नया मूल्यांकन किया जाएगा।तदनुसार, वर्ष 2021-22 के लिए 7.40% प्रति वर्ष का सुनिश्चित प्रतिफल अपरिवर्तित रहा और वर्ष 2022-23 की 10 वर्षों की पॉलिसी अवधि के दौरान योजना का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों के लिए पीएमवीवीवाई के तहत 7.40% प्रति वर्ष के सुनिश्चित प्रतिफल की पेशकश की जा रही है।

सरकार सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन का भुगतान करने के लिए आवश्यक न्यूनतम रिटर्न की तुलना में पॉलिसी खरीद मूल्य पर वार्षिक रूप से अर्जित रिटर्न में किसी भी कमी की लागत वहन करती है। दिनांक 31.08.2022की स्थिति के अनुसार इस योजना के तहत कुल 8.59 लाख से अधिक अभिदाता लाभान्वित हुए हैं।

 

बीमा क्षेत्र में कोविड-19 उपाय

प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल) के माध्यम से दिनांक 30.03.2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत कोविड-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक बीमा योजना आरंभ की गई थी। इस योजना के तहत कोविड-19 के कारण अपनी जान गंवाने वाले और कोविड-19 संबंधी कार्यों के दौरान दुर्घटना में मृत हुए 22.12 लाख सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को 50 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान किया गया है। इसमें निजी अस्पताल के कर्मचारी और राज्य/केंद्रीय अस्पतालों/केंद्र/राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों के स्वायत्त अस्पतालों, एम्स और आईएनआई/ केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल जिन्हें कोविड-19 संबंधी जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया गया, के सेवानिवृत्त/स्वयंसेवी/स्थानीय शहरी संस्थाओं/अनुबंधित/दैनिक वेतन भोगी/एड-हॉक/आउटसोर्स कर्मचारी भी शामिल हैं। इस पॉलिसी के तहत लाभ /दावा किसी भी अन्य पॉलिसी के तहत देय राशि के अलावा उपलब्ध है। इस योजना को दो बार बढ़ाया गया और अंत में इसे दिनांक 24.03.2021 को समाप्त किया गया। इसके बाद, योजना के तहत लाभोंको दिनांक 18.4.2022 तक बढ़ा दिया गया। इसके अलावा, इस योजना को दिनांक 19.4.2022 से फिर से नवीनीकृत किया गया था और यह दिनांक15.10.2022 तक वैध थी। पीएमजीकेपी के तहत, दिनांक 31.08.2022 की स्थिति के अनुसार, दिनांक 24.03.2021 तक वैध योजना के तहत स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपये के 988 दावों का भुगतान किया गया है और दिनांक 24.04.2021 से आरंभहुई और दिनांक 18.4.2022 तक मान्य योजना के तहत 974 पात्र दावों का भुगतान किया गया है।

 

कोरोना कवच पॉलिसी

 इरडाई ने दिनांक 10.07.2020 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से 50,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा कवर के साथ जनता की बुनियादी स्वास्थ्य बीमा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मानक कोविड-विशिष्ट उत्पाद तैयार किया है।प्राधिकरण ने सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओंद्वारा "कोरोना कवच" नामक इस क्षतिपूर्ति आधारित व्यक्तिगत कोविड मानक स्वास्थ्य पॉलिसी की पेशकश करना अनिवार्य किया है, जिसमें प्रतीक्षा अवधि सहित साढ़े तीन महीने (3 1/2 महीने), साढ़े छह महीने (6 1/2 महीने) से साढ़े नौ महीने (9 1/2 महीने) तक की पॉलिसी अवधि है। इस कवरेज में कोविड से पीड़ित होने की प्रति घटना घर पर रह कर उपचार लेने, जिसे सामान्य परिस्थितियों में अस्पताल में भर्ती होकर देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती, लेकिन वास्तव में घर पर रह कर उपचार करने पर बीमित द्वारा उपचार के लिए किया गया व्यय शामिल है। इस पॉलिसीमेंकोविड के इलाज के लिए अस्पताल के रूप में सरकार द्वारा नामित किसी भी सेट-अप को अस्पताल माना जाएगा।

इरडाई के दिशानिर्देश बीमा कंपनियों को डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को "कोरोना कवच" के प्रीमियम के भुगतान में 5% की छूट देने की अनुमति देते हैं। बीमा कंपनियों को कोरोना कवच पॉलिसी को समूह बीमा उत्पाद के रूप में पेश करने की भी अनुमति दी गई है।

 

कोरोना रक्षक पॉलिसी

इरडाई द्वारा दिनांक 26.6.2020 के परिपत्र के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा व्यवसाय करने वाले सभी बीमाकर्ताओं (साधारण, स्वास्थ्य और जीवन) को लाभ आधारित कोविड-19 उत्पाद - 'कोरोना रक्षक' के लिए प्रोत्साहित किया गया है। पॉलिसी के तहत,कोविड-19 से पीड़ित होने का पता चलने इसके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर बीमित राशि के100% के बराबर एकमुश्त लाभ देय है। इसके अलावा, इरडाई द्वारा बीमाकर्ताओं को सलाह दी गई थी कि वे कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियों को जारी रखें और मई, 2021 में इन पॉलिसियों को नवीनीकृत करें।
इरडाई द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, कोविड-19 के संबंध में साधारण बीमा उद्योग द्वारा दिनांक 31.7.2022 तक 24,457 करोड़ रुपये के कुल 26,88,489 दावों का भुगतान किया गया है।

 

आरोग्य संजीवनी पॉलिसी

इरडाई ने दिनांक 01.01.2020 को परिपत्र जारी किया जिसमें सभी साधारण और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं को दिनांक 01.04.2020 से जनता के लिए एक मानक व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने हेतु “आरोग्य संजीवनी” नामक पॉलिसी प्रस्तावित करने के अनुदेश दिए ताकि उनकी मूलभूत स्वास्थ्य बीमा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। यह पॉलिसी बुनियादी स्वास्थ्य कवर प्रदान करती है जैसे अस्पताल में भर्ती संबंधी व्यय, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के व्यय, आयुष उपचार, संचयी बोनस आदि, जो पूरे बाजार में एकसमान हैं। इस पॉलिसी में कोविड-19 उपचार को भी शामिल किया गया है। पॉलिसी के नियम और शर्तें बीमा कंपनियों में समान हैं, सिर्फ़ इसकी प्रीमियम दर बीमाकर्ता स्वयं तय करते हैं। इस मानक उत्पाद के साथ कोई ऐड-ऑन या वैकल्पिक कवर प्रस्तावित करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, इस उत्पाद में किसी कटौती की अनुमति नहीं है।

मानक नीति को समान नियमों और शर्तों के साथ समान नाम के तहत समूह नीति के रूप में भी पेश किया जा सकता है|इससे बड़ी संख्या में लगेप्रवासी श्रमिकों, विनिर्माण, सेवाओं, एसएमई, एमएसएमई, रसद क्षेत्र के कर्मचारियों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने की उम्मीद है।

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क्षेत्र में सुधार

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 के अधिनियमन के साथ बीमा क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोला गया था।भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) हैदराबाद, तेलंगाना में अपने मुख्य कार्यालय से कार्य कर रहा है। प्राधिकरण के उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं : (i) पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा करना और उचित व्यवहार को सुनिश्चित करना; (ii) आम आदमी के लाभ और अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाने के लिए दीर्घकालिक धन उपलब्ध कराने हेतु बीमा उद्योग (वार्षिकी और सेवानिवृत्ति भुगतान सहित) की तीव्र और व्यवस्थित प्रगति; (iii) यह जिनको विनियमित करता है उनमें निष्ठा, वित्तीय सुदृढ़ता, उचित कार्रवाई और क्षमता के उच्च मानकों को स्थापित, प्रोत्साहित, निगरानी करना और बढ़ावा देना। (iv) वास्तविक दावों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करना, बीमा धोखाधड़ी और अन्य कदाचारों को रोकना और प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करना(v) बीमा संबंधी कार्य करने वाले वित्तीय बाजारों में निष्पक्षता, पारदर्शिता और व्यवस्थित आचरण को बढ़ावा देना और बाज़ार मेंप्रतिस्पर्धियों के बीच वित्तीय सुदृढ़ता के उच्च मानकों को लागू करने के लिए एक विश्वसनीय प्रबंधन सूचना प्रणाली का निर्माण करना(vi) जहां ऐसे मानकों को अपर्याप्त या अप्रभावी रूप से लागू किया गया हो वहां कार्रवाई करना (vii) विवेकपूर्ण विनियमन की आवश्यकताओं के अनुरूप उद्योग के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में आत्म-विनियमन की इष्टतम मात्रा लाना।

वर्ष 2000 में निजी और विदेशी निवेश के लिए इस क्षेत्र को खोलने के बाद से, बीमा उद्योग में प्रतिभागियों की संख्या सात (7) बीमाकंपनियों (भारतीय जीवन बीमा निगम, चार सार्वजनिक क्षेत्र के साधारण बीमाकर्ता, एक विशेष बीमाकर्ता और राष्ट्रीय पुनर्बीमाकर्ता के रूप में सामान्य बीमा निगम सहित) से बढ़कर 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसारसड़सठ (67) बीमाकर्ता हो गई है, जो जीवन, साधारण और पुनर्बीमा क्षेत्रों (विशेष बीमाकर्ताओं सहित, नामतः निर्यात क्रेडिट गारंटी निगम लिमिटेड और भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड) में काम कर रहे हैं। 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार 24 जीवन बीमा कंपनियां हैंजिनमें एक सार्वजनिक क्षेत्र की है, 25 साधारण बीमा कंपनियां हैं जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र की चार, सार्वजनिक क्षेत्र की दो विशेष बीमा कंपनियां, पांच स्टैंड अलोन स्वास्थ्यबीमाकर्ता (एसएएचआई) और सार्वजनिक क्षेत्र की एक बीमा कंपनी सहित 11 पुनर्बीमा कंपनियां हैं।

इस क्षेत्र में किए गए प्रमुख सुधारों में से एक बीमा कानून (संशोधन) अधिनियम, 2015 का पारित होना है, जिसने बीमा अधिनियम, 1938, साधारण बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) अधिनियम, 1999 में प्रमुख सुधार संबंधी संशोधनों का मार्ग प्रशस्त किया है।संशोधन अधिनियम ने विधानों में से निरर्थक उपबंधों को हटा दिया और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) द्वारा अपने कार्यों को अधिक प्रभावी तरीके और कुशलता से निर्वहन करने के लिए लचीलापन प्रदान करने के लिए उसमें कुछ उपबंधों को शामिल किया। इसमें भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण की सुरक्षा के साथ किसी भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी निवेश की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत की स्पष्ट रूप से समग्र सीमा करने का भी उपबंध किया गया है। संशोधन अधिनियम के कारण विदेशी पुनर्बीमाकर्ताभारत में शाखाएं स्थापित कर सके। इसने ब्रिटेन के लॉयड्स और उसके सदस्यों को पुनर्बीमा व्यवसाय के उद्देश्य से शाखाओं की स्थापना के माध्यम से या 49 प्रतिशत की सीमा के भीतर भारतीय बीमा कंपनी में निवेशकों के रूप में भारत में काम करने में सक्षम बनाया। इस अधिनियम ने जीवन और गैर-जीवन बीमा कंपनियों के लिए लागू स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं के लिए पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखते हुए 'स्वास्थ्य बीमा व्यवसाय' को एक अलग वर्टिकल के रूप में मान्यता दी है।

भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी निवेश) संशोधन नियम, 2019 द्वारा भारतीय बीमा कंपनी (विदेशी निवेश) नियम, 2015 में संशोधन के अनुसरण में, मध्यस्थों या बीमा मध्यस्थों के लिए विदेशी इक्विटी निवेश की सीमा को हटा दिया गया था, जिससे 100 प्रतिशत एफडीआई के साथ इस चैनल को खोलने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

25 मार्च, 2021 को अधिनियमित बीमा (संशोधन) अधिनियम, 2021 को लागू करके बीमा अधिनियम, 1938 में और संशोधन लाया गया, जिसके द्वारा सरकार ने भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया है। इस संशोधन और सरकार द्वारा जारी तदनुरूप नियमों के आधार पर, इरडाई ने 07 जुलाई, 2021 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से इरडाई (भारतीय बीमा कंपनी) (संशोधन) विनियम, 2021 नामक एक विनियमन जारी किया है।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में स्थापित एक शाखा के माध्यम से पुनर्बीमा व्यवसाय में कार्यरत विदेशी बीमाकर्ताओं के लिए निवल स्वामित्व वाली निधि की आवश्यकता को दिनांक 01.08.2019 के वित्त अधिनियम, 2019द्वारा 5000 करोड़ रुपये से घटाकर 1000 करोड़ रुपये कर दिया गया था।

दिनांक 30.7.2020 को अधिसूचित भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (विशेष आर्थिक क्षेत्र में बीमा व्यवसाय का विनियमन) संशोधन नियम, 2020 के माध्यम से भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (विशेष आर्थिक क्षेत्र में बीमा व्यवसाय का विनियमन) नियम, 2015 को संशोधित किया गया था ताकि विशेष आर्थिक क्षेत्रों में संचालित करने के लिए बीमा मध्यस्थों के लिए एक उपबंध शामिल किया जा सके।

वर्ष 2014 में, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पारित आदेशों को भी प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण (एसएटी) में अपील योग्य बनाया गया था।बीमा (प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण में अपील) नियम, 2016 और बीमा (न्यायिक अधिकारी द्वारा जांच करने की प्रक्रिया) नियम, 2016 को दिनांक 17.02.2016 को अधिसूचित किया गया था। बीमा (प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण में अपील) नियम, 2016 को दिनांक 15.4.2021 को अधिसूचित बीमा (प्रतिभूति अपीलीय अधिकरण में अपील) संशोधन नियम, 2021 के माध्यम से संशोधित किया गया था, ताकि एक उचित समय सीमा प्रदान की जा सके, जिसके भीतर अपीलकर्ता अपने अपील ज्ञापन में दोष को ठीक कर सके और जिस तरह से अपील ज्ञापन में दोष को अपीलकर्ता को उन मामलों के संबंध में सूचित किया जाएगा जहां अपील डाक द्वारा भेजी गई है।

बीमा कंपनियों और उनके एजेंटों और मध्यस्थोंद्वारा बीमा के सभी व्यक्तिगत वर्गों, समूह बीमा पॉलिसियों, एकल स्वामित्व और सूक्ष्म उद्यमों को जारी की गई पॉलिसियों के संबंध में शिकायतों को लागत प्रभावी और निष्पक्ष तरीके से हल करना।केंद्र सरकार ने दिनांक 27.04.2017 को बीमा लोकपाल नियम, 2017 अधिसूचित किया था। इन नियमों को दिनांक 17.08.2018 को बीमा लोकपाल (संशोधन) नियम, 2018 के माध्यम से संशोधित किया गया था। बीमा लोकपाल को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए अधीनस्थ विधान से संबंधित समिति (सीओएसएल), लोकसभा की सिफारिशों पर दिनांक 02.03.2021 और 18.05.2021 की अधिसूचना के माध्यम से उक्त नियमों में और संशोधन किए गए थे।

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) के लिएवित्त अधिनियम, 2021 के माध्यम से जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 (एलआईसी अधिनियम) को संशोधित किया गया था।एलआईसी अधिनियम के संशोधित उपबंध 30.6.2021 से लागू हुए। एलआईसी अधिनियम में संशोधनों में पूंजी संरचना, कॉरपोरेट अभिशासन, वित्तीय प्रकटीकरण व लेखा परीक्षा और अधिशेष के वितरण के संबंध में संशोधन के अलावा अन्य संबंधित संशोधन शामिल हैं।उक्त संशोधन के अनुसरण में एलआईसी अधिनियम के तहत नियमों और विनियमों में भी संशोधन किया गया है।

साधारण बीमा कारबार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन अधिनियम, 2021 (2021 की संख्या 37) के माध्यम से साधारण बीमा कारबार (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 को संशोधित किया गया हैऔर अधिनियम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में अधिक निजी भागीदारी को सक्षम करने के लिए 19 अगस्त, 2021 को अधिसूचित किया गया है। उक्त अधिनियम दिनांक 27.08.2021 से लागू हुआ है।

सरकार ने 17 मई, 2022 को एलआईसी में अपने 3.5% शेयरों का विनिवेश किया, जिसका उद्देश्य सरकार के निवेश मूल्य को अनलॉक करना था। इसने एलआईसी को सार्वजनिक राजकोष पर निर्भर हुएबिना भावी विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूंजी जुटाने में सक्षम किया और सूचीबद्धता संबंधी आवश्यकताओं और प्रकटीकरण सेबेहतर बाज़ार अनुशासन और पारदर्शिता के माध्यम से अभिशासन में सुधार हुआ है। आईपीओ से जनता को भी एलआईसी में हिस्सेदारी और उससे लाभ प्राप्त करनेका अवसर मिला है। एलआईसी के शेयर निफ्टी और सेंसेक्स दोनों पर सूचीबद्ध हुए थे।

वैश्विक प्रथाओं को ध्यान में रखते हुए, दिनांक 04.07.2022 को बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 2गक के तहत एक अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें उक्त अधिनियम की कुछ धाराओं को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र में वित्तीय संस्थान के रूप में बीमा का व्यवसाय करने वाले बीमाकर्ता पर केवल ऐसे अपवादों, संशोधनों और अनुकूलन के साथ लागू किया गया है, जैसा कि उसमें निर्दिष्ट है।

 

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना

प्रधान मंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई)भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) कीयोजना है और भारत सरकार द्वारा समर्थित है, जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को 10 वर्ष की अवधि के लिए एक सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन प्रदान करने के लिए, उस कीमत से जुड़ा हुआ है जिस पर वे पेंशन पॉलिसी खरीदते हैं। यह योजना भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को सरकारी गारंटी के आधार पर सदस्यता राशि से जुड़ी सुनिश्चित पेंशन / रिटर्न के प्रावधान के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों के लिए वृद्धावस्था आय सुरक्षा को सक्षम बनाती है।

पीएमवीवीवाई 31 मार्च, 2023 तक अभिदान के लिए खुली है और इसने वर्ष 2020-21 के लिए7.40% प्रति वर्ष कीसुनिश्चित प्रतिफल दर प्रदान की है। वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए, जबकि यह योजना मार्च, 2023 तक परिचालनरत है, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) की 7.75% की अधिकतम सीमा तक की लागू प्रतिफल दर के अनुरूप वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से रिटर्न की सुनिश्चित दर के वार्षिक रीसेट का प्रावधान है, जिसमें किसी भी समय इस अधिकतम सीमा के उल्लंघन पर योजना का नया मूल्यांकन किया जाएगा।तदनुसार, वर्ष 2021-22 के लिए 7.40% प्रति वर्ष का सुनिश्चित प्रतिफल अपरिवर्तित रहा और वर्ष 2022-23 की 10 वर्षों की पॉलिसी अवधि के दौरान योजना का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों के लिए पीएमवीवीवाई के तहत 7.40% प्रति वर्ष के सुनिश्चित प्रतिफल की पेशकश की जा रही है।

सरकार सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन का भुगतान करने के लिए आवश्यक न्यूनतम रिटर्न की तुलना में पॉलिसी खरीद मूल्य पर वार्षिक रूप से अर्जित रिटर्न में किसी भी कमी की लागत वहन करती है। दिनांक 31.08.2022की स्थिति के अनुसार इस योजना के तहत कुल 8.59 लाख से अधिक अभिदाता लाभान्वित हुए हैं।

 

बीमा क्षेत्र में कोविड-19 उपाय

प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण पैकेज

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल) के माध्यम से दिनांक 30.03.2020 को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत कोविड-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक बीमा योजना आरंभ की गई थी। इस योजना के तहत कोविड-19 के कारण अपनी जान गंवाने वाले और कोविड-19 संबंधी कार्यों के दौरान दुर्घटना में मृत हुए 22.12 लाख सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को 50 लाख रुपए का बीमा कवर प्रदान किया गया है। इसमें निजी अस्पताल के कर्मचारी और राज्य/केंद्रीय अस्पतालों/केंद्र/राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों के स्वायत्त अस्पतालों, एम्स और आईएनआई/ केंद्रीय मंत्रालयों के अस्पताल जिन्हें कोविड-19 संबंधी जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया गया, के सेवानिवृत्त/स्वयंसेवी/स्थानीय शहरी संस्थाओं/अनुबंधित/दैनिक वेतन भोगी/एड-हॉक/आउटसोर्स कर्मचारी भी शामिल हैं। इस पॉलिसी के तहत लाभ /दावा किसी भी अन्य पॉलिसी के तहत देय राशि के अलावा उपलब्ध है। इस योजना को दो बार बढ़ाया गया और अंत में इसे दिनांक 24.03.2021 को समाप्त किया गया। इसके बाद, योजना के तहत लाभोंको दिनांक 18.4.2022 तक बढ़ा दिया गया। इसके अलावा, इस योजना को दिनांक 19.4.2022 से फिर से नवीनीकृत किया गया था और यह दिनांक15.10.2022 तक वैध थी। पीएमजीकेपी के तहत, दिनांक 31.08.2022 की स्थिति के अनुसार, दिनांक 24.03.2021 तक वैध योजना के तहत स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपये के 988 दावों का भुगतान किया गया है और दिनांक 24.04.2021 से आरंभहुई और दिनांक 18.4.2022 तक मान्य योजना के तहत 974 पात्र दावों का भुगतान किया गया है।

 

कोरोना कवच पॉलिसी

 इरडाई ने दिनांक 10.07.2020 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से 50,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा कवर के साथ जनता की बुनियादी स्वास्थ्य बीमा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मानक कोविड-विशिष्ट उत्पाद तैयार किया है।प्राधिकरण ने सामान्य और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओंद्वारा "कोरोना कवच" नामक इस क्षतिपूर्ति आधारित व्यक्तिगत कोविड मानक स्वास्थ्य पॉलिसी की पेशकश करना अनिवार्य किया है, जिसमें प्रतीक्षा अवधि सहित साढ़े तीन महीने (3 1/2 महीने), साढ़े छह महीने (6 1/2 महीने) से साढ़े नौ महीने (9 1/2 महीने) तक की पॉलिसी अवधि है। इस कवरेज में कोविड से पीड़ित होने की प्रति घटना घर पर रह कर उपचार लेने, जिसे सामान्य परिस्थितियों में अस्पताल में भर्ती होकर देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती, लेकिन वास्तव में घर पर रह कर उपचार करने पर बीमित द्वारा उपचार के लिए किया गया व्यय शामिल है। इस पॉलिसीमेंकोविड के इलाज के लिए अस्पताल के रूप में सरकार द्वारा नामित किसी भी सेट-अप को अस्पताल माना जाएगा।

इरडाई के दिशानिर्देश बीमा कंपनियों को डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को "कोरोना कवच" के प्रीमियम के भुगतान में 5% की छूट देने की अनुमति देते हैं। बीमा कंपनियों को कोरोना कवच पॉलिसी को समूह बीमा उत्पाद के रूप में पेश करने की भी अनुमति दी गई है।

 

कोरोना रक्षक पॉलिसी

इरडाई द्वारा दिनांक 26.6.2020 के परिपत्र के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा व्यवसाय करने वाले सभी बीमाकर्ताओं (साधारण, स्वास्थ्य और जीवन) को लाभ आधारित कोविड-19 उत्पाद - 'कोरोना रक्षक' के लिए प्रोत्साहित किया गया है। पॉलिसी के तहत,कोविड-19 से पीड़ित होने का पता चलने इसके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर बीमित राशि के100% के बराबर एकमुश्त लाभ देय है। इसके अलावा, इरडाई द्वारा बीमाकर्ताओं को सलाह दी गई थी कि वे कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पॉलिसियों को जारी रखें और मई, 2021 में इन पॉलिसियों को नवीनीकृत करें।
इरडाई द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, कोविड-19 के संबंध में साधारण बीमा उद्योग द्वारा दिनांक 31.7.2022 तक 24,457 करोड़ रुपये के कुल 26,88,489 दावों का भुगतान किया गया है।

 

आरोग्य संजीवनी पॉलिसी

इरडाई ने दिनांक 01.01.2020 को परिपत्र जारी किया जिसमें सभी साधारण और स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं को दिनांक 01.04.2020 से जनता के लिए एक मानक व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने हेतु “आरोग्य संजीवनी” नामक पॉलिसी प्रस्तावित करने के अनुदेश दिए ताकि उनकी मूलभूत स्वास्थ्य बीमा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। यह पॉलिसी बुनियादी स्वास्थ्य कवर प्रदान करती है जैसे अस्पताल में भर्ती संबंधी व्यय, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के व्यय, आयुष उपचार, संचयी बोनस आदि, जो पूरे बाजार में एकसमान हैं। इस पॉलिसी में कोविड-19 उपचार को भी शामिल किया गया है। पॉलिसी के नियम और शर्तें बीमा कंपनियों में समान हैं, सिर्फ़ इसकी प्रीमियम दर बीमाकर्ता स्वयं तय करते हैं। इस मानक उत्पाद के साथ कोई ऐड-ऑन या वैकल्पिक कवर प्रस्तावित करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, इस उत्पाद में किसी कटौती की अनुमति नहीं है।

मानक नीति को समान नियमों और शर्तों के साथ समान नाम के तहत समूह नीति के रूप में भी पेश किया जा सकता है|इससे बड़ी संख्या में लगेप्रवासी श्रमिकों, विनिर्माण, सेवाओं, एसएमई, एमएसएमई, रसद क्षेत्र के कर्मचारियों की चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने की उम्मीद है।

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